ये हैं भारत के फॉरेस्ट मैन, जिन्होंने 1360 एकड़ उजाड़ जमीन को जंगल में बदल दिया
कोई भी व्यक्ति अगर मन में कुछ करने की ठान ले तो वह असम्भव काम को भी संभव कर दिखाता है। अगर खुद पर आत्मविश्वास हो तो हर व्यक्ति अकेले ही बड़ी से बड़ी लड़ाई में जीत हासिल कर सकता है और साथ ही अपने सभी सपनों को भी पूरा कर सकता है। भारत में कुछ ऐसे शख्सियत हैं,जो बिना घबराए, बिना डरे केवल अपनी काबिलियत की बदौलत आगे बढ़ते ही चले जाते हैं। इसी बात को सच कर दिखाया भारत के फॉरेस्ट मैन जादव मोलाई ने। आइए जानते हैं इनकी कहानी।
जादव मोलाई असम के जोरहट ज़िला के कोकिलामुख गांव के निवासी हैं,उन्हें बचपन से ही प्रकृति से बेहद ही ज्यादा लगाव है। जीव जंतु, पशु पक्षियों को वो बहुत पसंद करते थे। जब जादव मोलाई 16 साल के थे,तब उनके इलाके में आई भयंकर बाढ़ ने उनके जन्मस्थान के आसपास बड़ी तबाही मचाई थी। बाढ़ का असर इतना ज्यादा खतरनाक था कि आसपास की पूरी जमीन पर सिर्फ मिट्टी और कीचड़ दिखने लगा था। बाढ़ की वजह से जानवर अपनी जान भी बचा नहीं पाए थे। उन्होंने देखा कि उनके गांव के आस पास पशु पक्षियों की संख्या घटती जा रही है, यह देखकर जादव मोलाई को काफी ज्यादा दुःख हुआ और उन्होंने उसी वक़्त ठान लिया की कुछ ऐसे पौधे बोएगें जो आगे जाकर एक अच्छे जंगल में परिवर्तित हो सकें।
ये हैं भारत के फॉरेस्ट मैन, जिन्होंने 1360 एकड़ उजाड़ जमीन को जंगल में बदल दिया |
जब जादव मोलाई ने यह बात अपने गांव के लोगों को बताई तो, सबने नकार दिया और कहा - हम यह काम नहीं कर सकते हैं, यह काम बहुत जोखिमभरा है। फिर उन्होंने वन विभाग से मदद के लिए गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने भी इंकार कर दिया और कहा - “यह बंजर ज़मीन है! और यहाँ कुछ नहीं उग सकता, अगर तुम चाहो तो वहां पोधे उगाकर देख सकते हो! फिर क्या था जादव इस काम में अकेले जुट गए और ब्रह्मपुत्र नदी के बीच एक वीरान टापू पर बाँस लगा कर शुरुआत की। उन्होंने रोज़ाना ही नए पौधे लगाने शुरू कर दिए, इस दौरान कई बार असम में बाढ़ भी आई। लेकिन वो अपने फैसले पर अड़िग रहें।
जादव लगभग अगले 36 सालों तक निरंतर रोज एक पौधा लगाते रहे। उसी का परिणाम है कि आज उन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति से केवल मिट्टी और कीचड़ से भरी जमीन को फिर से हरा-भरा कर दिया। जोराहाट में कोकिलामुख के पास स्थित जंगल का नाम मोलाई फॉरेस्ट उन्हीं के नाम पर पड़ा। इसमें जंगल के आसपास का 1360 एकड़ का क्षेत्र शामिल है।
हालांकि इस जंगल को बनाना इतना आसान नहीं था,इसके लिए उन्होंने दिन - रात एक कर दी थी। लेकिन उन्हें खुद पर यकीन था कि आज नहीं तो कल वो अपने काम में सफलता हासिल कर ही लेंगे। इस जंगल में भारतीय गैंडे, हिरण,खरगोश वानर और गिद्धों की एक बड़ी संख्या सहित कई किस्मों के पक्षियों का घर है। बता दें कि सोपोरी ने जादव पायेंग को "फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया" ख़िताब दिया और 2015 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
जादव मोलाई की कहानी हम सभी के लिए प्रेरणादायक है,क्योंकि उन्होंने जिस तरह एक बंज़र जमीन को जंगल में बदल दिया वो करना किसी के लिए भी आसान नहीं था।
0 टिप्पणियाँ